Wednesday 14 October 2015

Essay On Dussehra In Hindi

Essay On Dussehra  In Hindi


विजयादशमी

विजयादशमी हिन्दुओ का प्रमुख पर्व है | इसे ‘दशहरा’ भी कहते है | सभी बड़ी श्रध्दा के साथ मनाते है | विजयादशमी का संबंध ‘शक्ति’ से है |जिस प्रकार ज्ञान के लिए सरस्वती की उपासना की जाती है उसी प्रकार शक्ति के लिए दुर्गा की उपासना की जाती है |



कहा जाता है की अत्याचार करने वाले ‘महिषासुर’ नामक राक्षस का उन्होंने संहार किया था | इसके लिए उन्होंने ‘महिषासुरमर्दिनी’ का रूप धारण किया था | दुर्गा ने ही शुंभ – निशुंभ नामक राक्षसों को मारा था | उन्होंने चामुंडा का रूप धारण करके चंड मुंड राक्षसों का वध किया | श्री रामचंद्रजी ने दुर्गा मां की पूजा करके ही रावण का वध किया था | इसलिए बंगाल में तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में भी इस पर्व को ‘दुर्गा पूजा’ के नाम से भी जाना जाता है |
विजयादशमी का त्यौहार दस दिनों तक चलता रहता है | आश्विन मास शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से इसका आरंभ होता है | दशमी के दिन इसकी समाप्ति होती है | प्रतिपदा के दिन प्रत्येक हिन्दू परिवार में देवी भगवती की स्थापना की जाती है | गोबर से कलश सजाया जाता है | कलश के ऊपर जों के दाने खोंसे जाते है | आठ दिनों तक नियमपूर्वक देवी की पूजा , कीर्तन और दुर्गा – पाठ होता है | नवमी के दिन पांच कन्याओ को खिलाया जाता है | उसके बाद देवी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है | इस उत्सव को ‘नवरात्र’ भी कहते है | इन नो दिनों में पूजा करने वाले बड़े संयम से रहते है | दशमी के दिन विशेष उत्सव मनाया जाता है | इसे ‘विजयादशमी’ (दशहरा) कहते है | दशहरा दस पापों को नष्ट करनेवाला माना जाता है |

इस पर्व को कुछ लोग कृषि – प्रधान त्यौहार के रूप में भी मनाते है | इसका सम्बन्ध उस दिन से जोड़ते है , जब श्रीरामचंद्रजी ने लंका के राजा रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी , इसलिए यह ‘विजयादशमी’ के नाम से भी जाना जाता है |
विजयादशमी के साथ अनेक परम्परागत विश्वाश भी जुड़े हुए है | इस दिन राजा का दर्शन शुभ माना जाता है | इस दिन लोग ‘नीलकंठ’ के दर्शन करते है | गाँवों में इस दिन लोग जो के अंकुर तोडकर अपनी पगड़ी में खोंसते है | कुछ लोग इसे कानों और टोपियों में भी लगाते है |

उतर भारत में दस दिनों तक श्रीराम की लीलाओं का मंचन होता है | विजयादशमी रामलीला का अंतिम दिन होता है | इस दिन रावण का वध किया जाता है तथा बड़ी धूमधाम से उसका पुतला जलाया जाता है | कई स्थानों पर बड़े – बड़े मेले लगते है | राजस्थान में शक्ति पूजा की जाती है | मिथिला और बंगाल में आश्विन शुक्लपक्ष में दुर्गा की पूजा होती है

इसी दिन तरह – तरह की चौकियां निकाली जाती है | ये चोकियाँ आत्यन्त आकर्षक होती है | इन चोकियों को देखने के लिए हजारो की संख्या में लोग टूट पड़ते है |

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