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Essay on Diwali in Hindi
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Essay on Diwali in Hindi
मित्रों,हम सभी भली-भांति जानते हैं कि त्यौहार मानव-जीवन का एक अभिन्न अंग हैं ,तभी तो विश्व का कोई ऐसा देश हीं जहाँ कोई त्यौहार न मनाया जाता हो |हमारे देश भारत में तो त्योहारों की भरमार है और हो भी क्यों न ? त्योहार ही तो हैं जो आंतरिक एवं बाह्य दोनों तरह की शुद्धि सहज ही करवा देतें हैं, प्रेम का संदेश प्रसारित करते हैं तथा मन की शान्ति को पुनःस्थापित कर कर्मशीलता को सक्रिय किया करते हैं |यहाँ तक कि “विश्व-बन्धुत्त्व” की नींव को मजबूत करने में भी त्योहारों का योगदान अत्यंत उल्लेखनीय हैदीपावली का अर्थ है - दीपों की पंक्तियां। दीपावली के दिन प्रत्येक घर दीपों की पंक्तियों से शोभायमान रहता है। दीपों, मोमबत्तियों और बिजली की रोशनी से घर का कोना-कोना प्रकाशित हो उठता है। इसलिए दीपावली को रोशनी का पर्व भी कहा जाता है।
दीपावली कार्तिक माह की अमावस को मनाई जाती है। रोशनी से अंधकार दूर हो जाता है। इसी तरह मन में अच्छे विचारों को प्रकाशित कर हम मन के अंधकार को दूर कर सकते हैं।
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Essay on Diwali in Hindi
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यह त्योहार अपने साथ ढेरों खुशियां लेकर आता है। एक-दो हफ्ते पूर्व से ही लोग घर, आंगन, मोहल्ले और खलिहान को दुरुस्त करने लगते हैं। बाजार में रंग-रोगन और सफेदी के सामानों की खपत बढ़ जाती है। ठंडे मौसम की हल्की-सी आहट से तन-मन की शीतलता बढ़ जाती है।
दीपावली का दिन आने पर घर में खुशी की लहर दौड़ जाती है। बाजार में मिट्टी के दीपों, खिलौनों, खील-बताशों और मिठाई की दुकानों पर भीड़ होती है। दुकानदार, व्यापारी अपने बहीखातों की पूजा करते हैं और कई इसी दिन नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत भी करते हैं।
संध्या के समय घर-आंगन और बाजार जगमगा उठते हैं। पटाखों की गूंज और फुलझड़ियों के रंगीन प्रकाश से चारों ओर खुशी का वातावरण उपस्थित हो जाता है। घर-घर में पकवान बनाए जाते हैं। बच्चों की स्कूल की छुट्टियों से इस त्योहार का मजा दोगुना हो जाता है।
रात्रि में पटाखे चलाए जाते हैं। लगभग पूरी रात पटाखों का शोरगुल बना रहता है। दीपावली की बधाइयों के आदान-प्रदान का सिलसिला चल पड़ता है।
दीपावली के दिन भारत में विभिन्न स्थानों पर मेले लगते हैं। दीपावली एक दिन का पर्व नहीं अपितु पर्वों का समूह है। दशहरे के पश्चात ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग नए-नए वस्त्र सिलवाते हैं। दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार आता है। इस बाजारों में चारों तरफ चहल-पहल दिखाई पड़ती है।
बर्तनों की दुकानों पर विशेष साजसज्जा व भीड़ दिखाई देती है। धनतेरस के दिन बरतन खरीदना शुभ माना जाता है अतैव प्रत्येक परिवार अपनी-अपनी आवश्यकता अनुसार कुछ न कुछ खरीदारी करता है। इस दिन तुलसी या घर के द्वार पर एक दीपक जलाया जाता है। इससे अगले दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली होती है। इस दिन यम पूजा हेतु दीपक जलाए जाते हैं।
दीपावली से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएं
इस दिन भगवान राम, लक्ष्मण और माता जानकी 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे थे और उनके आने की खुशी में नगरवासियों ने घर-घर घी के दीये जलाए थे। तभी से इस त्योहार की शुरुआत हुई।
दीपावली क्यों मनाया हटा है इसके पीछे अनेक पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। इनमें से एक प्रसिद्ध कथा है की जब भगवान राम, रावण के वध के पश्चात अयोध्या लौटे तो वो दिन अमावश्या का था। अतः लोगों ने अपने प्रिय राम के स्वागत और अंधेरे को दूर भागने के लिए पूरे अयोध्या को दीपों से प्रज्वलित कर दिया था। अतः ये प्रथा तब से चलने लगी। एक अन्य मान्यता के अनुसार इसी दिन धन और संपन्नता की देवी लक्ष्मी, राजा बाली के चंगुल से आजाद हुई थी। चंद कलेंडर के अनुसार इस दिन को हिन्दू कलेंडर की प्रारम्भिक तिथि अर्थात पहली तारीख भी मानी जाती है। अतः लोग इन मान्यताओं के अनुसार पूरे हर्षोउल्लास के साथ देश-विदेश के विभिन्न भागों में दीपावली मानते हैं।
लक्ष्मी पूजा के दूसरे दिन “गोवर्धन पूजा” मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इन्द्र को पराजित किया था।
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